नवीन विचारों का प्रेरणा स्रोत है विवेकानंद शिला स्मारक - वासुदेव देवनानी
वर्ष 1970 में माननीय एकनाथजी रानडे द्वारा संपूर्ण भारत को स्वामी विवेकानंद के नूतन विचारों के प्रेरणा स्रोत के रूप में सुदूर दक्षिण छोर पर स्थित श्रीपाद शिला पर निर्मित विवेकानंद शिला स्मारक आज संपूर्ण विश्व में नूतन भारत के ओजस्वी विचारों का संप्रेषण कर रहा है । यह एक शाश्वत सत्य है कि जब जब भारत एक हुआ है तब तब वह विजयी भी हुआ है। अतः हम सब का कर्तव्य भारत को एक करना होना चाहिए जिसमें विवेकानंद केंद्र अपनी विशिष्ट कार्य पद्धति के साथ अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर रहा है।
उक्त विचार अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी ने विवेकानंद शिला स्मारक के 50 में वर्ष के तहत चलाए जा रहे संपर्क अभियान के अंतर्गत व्यक्त किए। इस अवसर पर देवनानी ने माननीय एकनाथ जी के साथ बिताए अपने महत्वपूर्ण क्षणों को भी याद किया
उन्होंने कहा कि संपूर्ण विश्व को शिकागो से अपना संदेश देने वाले स्वामी विवेकानंद का यह शिला स्मारक प्रत्येक भारतवासी के एक और दो रुपयों के सहयोग से निर्मित हुआ है जिसमें तत्कालीन सारे भारत की राज्य सरकारों ने अपने राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर आर्थिक सहयोग प्रदान किया था जिसके कारण सच्चे अर्थों में यह एक राष्ट्रीय स्मारक है और हमें इस राष्ट्रीय स्मारक की विजय गाथा का अध्ययन करना चाहिए और राष्ट्रहित में अधिक से अधिक इसका प्रचार करना चाहिए।